हिन्दी-जय हिंदी, जय : भारती त्रिलोक सिंह ठकुरेला-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita
हिन्दी-जय हिंदी, जय भारती -त्रिलोक सिंह ठकुरेला-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita हिन्दी-जय हिंदी, जय भारती हिन्दी भाषा अति सरल, फिर भी अधिक समर्थ। मन मोहे शब्दावली, भाव, भंगिमा, अर्थ।। भाव, भंगिमा, अर्थ, सरल है लिखना, पढ़ना। अलंकार, रस, छंद, और शब्दों का गढ़ना। ‘ठकुरेला’ कविराय, सुशोभित जैसे बिंदी। हर प्रकार सम्पन्न, हमारी भाषा हिन्दी।। *** हिन्दी को मिलता रहे, प्रभु ऐसा परिवेश। हिन्दीमय को एक दिन, अपना प्यारा देश।। अपना प्यारा देश, जगत की हो यह भाषा।…