post Contents ( Hindi.Shayri.Page)
क़ातिलाना शायरी -यशु जान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Yashu Jaan Qatilana Shayari Part 3
=============
हमारी उमर का तकाज़ा तुम लगाओगे कैसे,
दिखने में हैं जवान,
हरकतें भी वैसी हैं
=============
फ़नाह हो गया हूँ तेरी मुहब्बत में मैं ‘जान’
मौत भी अब तुझसे मुझे जुदा ना कर पाएगी
=============
मेरी जान के रखवाले अब मुझे ग़म मत देना,
मेरी जान के रखवाले अब मुझे ग़म मत देना,
इश्क़ करवाकर मुझसे घुटने मेरा दम मत देना,
देने हैं तो इतने दे सह ना सकूँ और मर जाऊँ,
बर्दाश्त कर तड़पता रहूँ इतने कम मत देना
=============
किसी ने शिकायत की मेरी कि मैं इश्क़ में पड़ गया,
मेरे मालिक ने कल मुझे नौकरी से दिया निकाल
=============
अपने हौंसले को मुश्किलों से कभी ना डरने देना,
रखना कदम सम्भल – सम्भल कर कुछ कर गुज़रने देना,
ख़ुद को भूल जाना मेहनत करते – करते हुए यशु जान,
मगर कभी भी तुम अपने सपनों को ना मरने देना
=============
आंगन में मेरे धुआं सा उठा है,
आंगन में मेरे धुआं सा उठा है,
वक़्त के आग़ोश में क्या – क्या छुपा है,
कुछ दिनों से दिल मस्त है अपने आप में,
मेरी ज़िन्दगी में जैसे कुछ नया सा हुआ है
=============
जानलेवा इश्क़ है आशिक़ सब जानते हैं,
मगर पतंगे की फिटरत है आग में झुलस जाना
=============
जो करना है कर लोगों की परवाह के इलावा,
लोग तो ये भी कहते हैं पढ़ने में क्या रखा है
=============
तू जिस पत्थर को भगवान् मान रहा है,
उसके अंदर कोई है बसी जान मान रहा है,
सुनता जो दुःख दर्द की दास्तां है तेरी,
वो पत्थर भगवान् नहीं सिर्फ आस्था है तेरी
=============
अल्लाह – अल्लाह कर रहा अल्लाह से आगे भी बढ़,
अल्लाह – अल्लाह कर रहा अल्लाह से आगे भी बढ़,
कायनात बनाई जिस अल्लाह ने,
उसकी करीगिरी से डर,
तुझे लगता अगर कोई अल्लाह है,
उसकी बातों पे अमल तो कर,
उसने तो किया कोई भेद नहीं,
तू जात का बन गया जादूगर,
है लहू तो सबका लाल रंग का,
क्यूँ फिरे भटकता इधर उधर
=============
मन्नत मांगे हाथ फैलाए मेहनत जो नहीं कर सकता,
ईंटें पत्थर जो पूजे तेरा बन्दा नहीं हो सकता
=============
इस मोबाईल ने बड़ों – बड़ों के खाने ख़राब कर दिए,
इस मोबाईल ने बड़ों – बड़ों के खाने ख़राब कर दिए,
दुख आ गए खुशियों के अफ़साने ख़राब कर दिए,
तुम सिर्फ़ बच्चों की बात करते हो,
इस मोबाइल ने ज़माने के ज़माने ख़राब कर दिए
=============
Pingback: रसखान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Raskhan – hindi.shayri.page