होतीं बस आँखें ही आँखें-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun
थकी-पकी तनी-घनी भौंहें
नीली नसोंवाल ढलके पपोटे
सयत्न-विस्फारित कोए
कोरों में जमा हुआ कीचड़
कुछ नहीं होता
कुछ नहीं होता
होतीं बस आँखें ही आँखें
बेतरतीब बालों का जंगल
झुर्रियों भरा कुंचित ललाट
खिचड़ी दाढ़ी का उजाड़ घोंसला
कुछ नहीं होता
कुछ नहीं होता
होतीं बस आँखें ही आँखें
मूंछों की ओट में खोए होठों का सीमांत
सीध भें लंबी खिची बड़ी नथनोंवाली नाक
अधिक से अधिक लटके हुए गाल
झाँकते हुए लंबे-लंबे कान
कुछ नहीं होता
कुछ नहीं होता
होतीं बस आँखें ही आँखें