हर हकीकत मजाज़ हो जाए-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz
हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए
काफ़िरों की नमाज़ हो जाए
दिल रहीने-नियाज़ हो जाए
बेकसी कारसाज़ हो जाए
मिन्नते-चाराःसाज़ कौन करे
दर्द जब जाँ-नवाज़ हो जाए
इश्क़ दिल में रहे तो रुस्वा हो
लब पे आए तो राज़ हो जाए
लुत्फ़ का इन्तज़ार करता हूँ
जौर ता-हद्दे-नाज़ हो जाए
उम्र बे-सूद कट रही है ‘फ़ैज़’
काश अफ़शां-ए-राज़ हो जाए