हर बात पे हैरां है मूरख है ये नादां है-वादा-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar
हर बात पे हैरां है, मूरख है ये नादां है
मैं दिल से परेशां हूँ, दिल मुझसे परेशां है
हर एक हसीं चीज़ को छूने की उमंग है
मैं आग कहूँ, कहता है ये शहद का रंग है
मैं कहके पशेमां हूँ ये सुन के पशेमां है
हर बात पे हैरां है, मूरख है ये नादां है
है जिस्म हसीं लेकिन, पौशाक ये तंग है
क्यूँ बाँध के रखा है ये उड़ने की पतंग है
मैं इसपे मेहरबां हूँ, ये मुझपे मेहरबां है
हर बात पे हैरां है, मूरख है ये नादां है