हम लोग-नक़्शे फ़रियादी-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz
दिल के ऐवाँ में लिए गुमशुदा शम्मा’ओं की क़तार
नूरे-ख़ुर्शीद से सहमे हुए, उकताए हुए
हुस्ने-महबूब के सइयाल तसव्वुर की तरह
अपनी तारीकी को भींचे हुए, लिपटाए हुए
ग़ायते सूद-ओ-ज़ियाँ, सूरते आग़ाज़-ओ-मआल
वही बेसूद तजस्सुस, वही बेक़ार सवाल
मुज़महिल, सा’अते-इमरोज़ की बेरंगी से
यादे माज़ी से ग़मीं , दहशते-फर्दा से निढाल
तिश्ना अफ़्कार, जो तस्कीन नहीं पाते हैं
सोख़्ता अश्क जो आँखों में नहीं आते हैं
इक कड़ा दर्द कि जो गीत में ढलता ही नहीं
दिल के तारीक शिगाफ़ों से निकलता ही नहीं
और इक उलझी हुई मोहूम-सी दरमाँ की तलाश
दश्त-ओ-ज़िंदाँ की हवस, चाक-गिरेबाँ की तलाश
Pingback: दस्ते सबा -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz – hindi.shayri.page