हम तो अलबेले मज़दूर-गीत-कवि प्रदीप-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kavi Pradeep
हम तो अलबेले मज़दूर गज़ब हमारी जादूगरी
जादूगरी भाई जादूगरी गज़ब हमारी जादूगरी
हम तो अलबेले मज़दूर गज़ब हमारी जादूगरी
कहो तो फ़ौरन महल बना दें
पास में बढ़िया बाग़ लगा दें
जहाँ पे छम-छम नाचे सलोनी
कोई छबीली परी राम हो जादूगरी
हम तो अलबेले मज़दूर गज़ब हमारी जादूगरी
हम पत्थर में प्राण जगा दें
हम मिट्टी में जीवन ला दें
नखरे वाली डलिया मोरी
नखरे वाली डलिया मोरी
नखरे वाली डलिया मोरी
बडी गुमान भरी
राम हो जादूगरी
हम तो अलबेले मज़दूर गज़ब हमारी जादूगरी