हमने सब शे’र में सँवारे थे-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz
हमने सब शे’र में सँवारे थे
हमसे जितने सुख़न तुम्हारे थे
रंगों ख़ुश्बू के, हुस्नो-ख़ूबी के
तुमसे थे जितने इस्तिआरे थे
तेरे क़ौलो-क़रार से पहले
अपने कुछ और भी सहारे थे
जब वो लालो-गुहर हिसाब किए
जो तरे ग़म ने दिल पे वारे थे
मेरे दामन में आ गिरे सारे
जितने तश्ते-फ़लक में तारे थे
उम्रे-जावेद की दुआ करते थे
‘फ़ैज़’ इतने वो कब हमारे थे