सोरठि सदा सुहावणी जे सचा मनि होइ-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji
सोरठि सदा सुहावणी जे सचा मनि होइ ॥
दंदी मैलु न कतु मनि जीभै सचा सोइ ॥
ससुरै पेईऐ भै वसी सतिगुरु सेवि निसंग ॥
परहरि कपड़ु जे पिर मिलै खुसी रावै पिरु संगि ॥
सदा सीगारी नाउ मनि कदे न मैलु पतंगु ॥
देवर जेठ मुए दुखि ससू का डरु किसु ॥
जे पिर भावै नानका करम मणी सभु सचु ॥१॥(642)॥