सोचा है-ग़ज़लें व फ़िल्मी गीत-जावेद अख़्तर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Javed Akhtar
आसमां है नीला क्यूं, पानी गीला गीला क्यूं
गोल क्यों है ज़मीन
सिल्क में है नरमी क्यूं, आग में है गर्मी क्यूं
दो और दो पांच क्यों नहीं
पेड़ हो गए कम क्यों, तीन है ये मौसम क्यूं
चांद दो क्यूं नहीं
दुनिया में है ज़ंग क्यूं, बहता लाल रंग क्यूं
सरहदें है क्यूं हर कहीं
सोचा है, ये तुमने क्या कभी
सोचा है, की है ये क्या सभी
सोचा है, सोचा नही तो सोचो अभी
बहती क्यूं है हर नदी, होती क्या है रोशनी
बर्फ गिरती है क्यूं
लड़ते क्यूं हैं रुठते तारे क्यूं हैं टूटते
बादलों में बिजली है क्यूं
सोचा है, ये तुमने क्या कभी
सोचा है, की है ये क्या सभी
सोचा है, सोचा नही तो सोचो अभी
सन्नाटा सुनाई नहीं देता, और हवाएं दिखायी नहीं देती
सोचा है क्या कभी, होता है ये क्यूं
(रॉक ऑन)