सरोदे-शबाना-1-नक़्शे फ़रियादी-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Faiz Ahmed Faiz
गुम है इक कैफ़ में फ़ज़ा-ए-हयात
ख़ामुशी सिजदा-ए-नियाज़ में है
हुसन-ए-मासूम ख़वाब-ए-नाज़ मैं है
ऐ कि तू रंग-ओ-बू का तूफ़ां है
ऐ कि तू जलवागर बहार में है
ज़िन्दगी तेरे इख़तियार में है
फूल लाखों बरस नहीं रहते
दो घड़ी और है बहार-ए-शबाब
आ कि कुछ दिल की सुन सुना लें हम
आ मुहब्बत के गीत गा लें हम
मेरी तनहाईयों पे शाम रहे
हसरत-ए-दीद नातमाम रहे
दिल में बेताब है सदा-ए-हयात
आंख गौहर निसार करती है
आसमां पर उदास हैं तारे
चांदनी इंतज़ार करती है
आ कि थोड़ा-सा पयार कर लें हम
ज़िन्दगी ज़रनिगार कर लें हम
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