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- 1 अभी तुमने होश संभाली नहीं है,
- 2 पत्तियां नहाई हुई हैं क्यों जमकर आज ओस में,
- 3 मैं जब सोता हूँ ख़ुदा की निग़रानी
- 4 नशा कम है लगता है कोई शराब में कुछ
- 5 उनसे इश्क़ करने की मत दुआ कीजिए,
- 6 तुझसे मोहब्बत करके मुझे कुछ मिला तो नहीं है,
- 7 इश्क़ की बीमारी का यही इलाज है,
- 8 अजीब लोग हैं तेरी
- 9 अग़र सारी ज़िम्मेदारियाँ मैं निभा पाता,
सदाबहार शायरी-यशु जान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Yashu Jaan Sada Bahar Shayari Part 1
अभी तुमने होश संभाली नहीं है,
अभी तुमने होश संभाली नहीं है,
अभी तुमने होश संभाली नहीं है,
पटाख़े मत बजाओ आज दीवाली नहीं है,
सारा जहां शहद में ज़हर दे रहा है,
साहब दुनियां अभी ख़तरों से ख़ाली नहीं है
पत्तियां नहाई हुई हैं क्यों जमकर आज ओस में,
पत्तियां नहाई हुई हैं क्यों जमकर आज ओस में,
एक नीले रंग का फ़ूल ख़िला है मेरे पड़ोस में,
नशे में रहकर किसी को अग़र जन्नत नसीब हो,
वो कम्बख़्त क्या करेगा आकर होश में
आना है तो आ जाओ जेब में
आना है तो आ जाओ जेब में कुछ भरके आना,
मिलने की तमन्ना रखते हो मरने का इरादा भी करके आना,
कुछ ऐसा वैसा हो गया तो मुझे दोष मत कहना,
ऐसा करना तुम अपने घर से ही मरके आना
मैं जब सोता हूँ ख़ुदा की निग़रानी
मैं जब सोता हूँ ख़ुदा की निग़रानी में होता हूँ,
वो उसकी मौजूदगी में मुझपर हमले करने लगे,
जब उनकी सारी कोशिशें नाक़ाम हो गईं,
वो मुझे ज़िंदा जलाने की साज़िश करने लगे
नशा कम है लगता है कोई शराब में कुछ
नशा कम है लगता है कोई शराब में कुछ मिलाकर चला गया है,
सच बताओ कौन है जो पानी में आग लगाकर चला गया है,
आग लगने वाली है ज्वालामुखी फ़टने का झांसा देकर,
ज़ालिम चारों तरफ़ धुंआं ही उड़ाकर चला गया है
उनसे इश्क़ करने की मत दुआ कीजिए,
उनसे इश्क़ करने की मत दुआ कीजिए,
अपनी ना सही उनकी तो प्रवाह कीजिए
तुझसे मोहब्बत करके मुझे कुछ मिला तो नहीं है,
तुझसे मोहब्बत करके मुझे कुछ मिला तो नहीं है,
तू बता कहीं तुझे मुझसे कोई गिला तो नहीं है
हमने सबसे वफ़ा की उम्मीद की,
हमने सबसे वफ़ा की उम्मीद की,
इसीलिए किसी एक के भी हो ना सके
कुछ ऐसा हो जाएगा दुनियां का नसीब
कुछ ऐसा हो जाएगा दुनियां का नसीब,
ख़ुद को हाथ लगाने से भी डर सा लगेगा
आज के दौर में अग़र जनाज़ा उठा,
आज के दौर में अग़र जनाज़ा उठा,
याद रखना महफ़िल में सब ग़ैर होंगे
इश्क़ की बीमारी का यही इलाज है,
इश्क़ की बीमारी का यही इलाज है,
सोच लो कि इसका कोई हल नहीं
अजीब लोग हैं तेरी
अजीब लोग हैं तेरी इस दुनियां के जान,
जानते हुए भी पूछते हैं मेरा हाल क्या है
अपनी मुसीबतों पर ज़िद में
अपनी मुसीबतों पर ज़िद में आना सीख़ लो,
अग़र आग नहीं बन सकते तो मशाल जलाना सीख़ लो
रोज़ अच्छे बुरे कर्मों का
रोज़ अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब लिख़ता हूँ,
लोग़ कहते हैं मैं कौनसी किताब लिख़ता हूँ
ख़ुदा का कैसा दस्तूर है ग़ज़ब का फ़रमान है,
ख़ुदा का कैसा दस्तूर है ग़ज़ब का फ़रमान है,
हम सब ख़तरे में भी हैं और ख़तरे में ही हमारी जान है,
ख़तरे से बचें या ख़तरे को बचाएं उलझन सी है,
दोनों तरफ़ का हिसाब करें तो हमारा ही नुक़सान है
अग़र सारी ज़िम्मेदारियाँ मैं निभा पाता,
अग़र सारी ज़िम्मेदारियाँ मैं निभा पाता,
लोग़ मेरी इबादत करते हो ख़ुदा जाता
मुझे ही नहीं मेरे दोस्त सबको
मुझे ही नहीं मेरे दोस्त सबको दिक़्क़त आजकल हो रही है,
तुम नौक़री की बात करते हो यहाँ ज़िन्दग़ी बचानी मुश्क़िल हो रही है
इश्क़ का क़ानून ख़तरनाक़ है
इश्क़ का क़ानून ख़तरनाक़ है ख़ुदा से भी ऊपर है,
उन्होंने क़त्ल भी मेरा किया इल्ज़ाम भी मेरे ऊपर है
हम दोनों के एक जैसे ही कर्म हैं,
हम दोनों के एक जैसे ही कर्म हैं,
तुम भी बे – शर्म हो हम भी बे – शर्म हैं