सच-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh
मैं
पक्ष में भी बोलूँगा
विपक्ष में भी बोलूँगा
और
तुम्हारे समक्ष ही बोलूँगा
पर
क्या तुम सच सुन सकोगे?
जबकि
तुम्हें
मेरे बोलने-भर से परेशानी है।
सच-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh
मैं
पक्ष में भी बोलूँगा
विपक्ष में भी बोलूँगा
और
तुम्हारे समक्ष ही बोलूँगा
पर
क्या तुम सच सुन सकोगे?
जबकि
तुम्हें
मेरे बोलने-भर से परेशानी है।