सच-झूठ-कहें केदार खरी खरी-केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal
क्या यह सच है
कि सच नहीं है
झूठ जैसे
झूठ नहीं है
कचेहरी में
धूप से भरी दुपहरी में?
रचनाकाल: २३-१०-१९७०
सच-झूठ-कहें केदार खरी खरी-केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal
क्या यह सच है
कि सच नहीं है
झूठ जैसे
झूठ नहीं है
कचेहरी में
धूप से भरी दुपहरी में?
रचनाकाल: २३-१०-१९७०