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श्लोक -गुरू अर्जन देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Arjan Dev Ji 33
नानक सतिगुरि भेटिऐ
नानक सतिगुरि भेटिऐ पूरी होवै जुगति ॥
हसंदिआ खेलंदिआ पैनंदिआ खावंदिआ विचे होवै मुकति ॥2॥522॥
उदमु करेदिआ जीउ तूं
उदमु करेदिआ जीउ तूं कमावदिआ सुख भुंचु ॥
धिआइदिआ तूं प्रभू मिलु नानक उतरी चिंत ॥1॥522॥
सुभ चिंतन गोबिंद रमण
सुभ चिंतन गोबिंद रमण निरमल साधू संग ॥
नानक नामु न विसरउ इक घड़ी करि किरपा भगवंत ॥2॥522॥
काम क्रोध मद लोभ मोह
काम क्रोध मद लोभ मोह दुसट बासना निवारि ॥
राखि लेहु प्रभ आपणे नानक सद बलिहारि ॥1॥523॥
खांदिआ खांदिआ मुहु घठा
खांदिआ खांदिआ मुहु घठा पैनंदिआ सभु अंगु ॥
नानक ध्रिगु तिना दा जीविआ जिन सचि न लगो रंगु ॥2॥523॥
जीवदिआ न चेतिओ
जीवदिआ न चेतिओ मुआ रलंदड़ो खाक ॥
नानक दुनीआ संगि गुदारिआ साकत मूड़ नपाक ॥1॥523॥
जीवंदिआ हरि चेतिआ
जीवंदिआ हरि चेतिआ मरंदिआ हरि रंगि ॥
जनमु पदारथु तारिआ नानक साधू संगि ॥2॥523॥
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