post Contents ( Hindi.Shayri.Page)
शब्द -गुरू अर्जन देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Arjan Dev Ji 11
खात पीत खेलत हसत
खात पीत खेलत हसत भरमे जनम अनेक ॥
भवजल ते काढहु प्रभू नानक तेरी टेक ॥1॥261॥
आए प्रभ सरनागती
आए प्रभ सरनागती किरपा निधि दइआल ॥
एक अखरु हरि मनि बसत नानक होत निहाल ॥1॥261॥
हथि कलम अगम
हथि कलम अगम मसतकि लिखावती ॥
उरझि रहिओ सभ संगि अनूप रूपावती ॥
उसतति कहनु न जाइ मुखहु तुहारीआ ॥
मोही देखि दरसु नानक बलिहारीआ ॥1॥261॥
आदि गुरए नमह
आदि गुरए नमह ॥
जुगादि गुरए नमह ॥
सतिगुरए नमह ॥
स्री गुरदेवए नमह ॥1॥262॥
दीन दरद दुख भंजना
दीन दरद दुख भंजना घटि घटि नाथ अनाथ ॥
सरणि तुम्हारी आइओ नानक के प्रभ साथ ॥1॥263॥