post Contents ( Hindi.Shayri.Page)
शब्द -गुरू अर्जन देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Arjan Dev Ji 10
पति राखी गुरि पारब्रहम
पति राखी गुरि पारब्रहम तजि परपंच मोह बिकार ॥
नानक सोऊ आराधीऐ अंतु न पारावारु ॥1॥258॥
फाहे काटे मिटे गवन
फाहे काटे मिटे गवन फतिह भई मनि जीत ॥
नानक गुर ते थित पाई फिरन मिटे नित नीत ॥1॥258॥
बिनउ सुनहु तुम पारब्रहम
बिनउ सुनहु तुम पारब्रहम दीन दइआल गुपाल ॥
सुख स्मपै बहु भोग रस नानक साध रवाल ॥1॥258॥
भै भंजन अघ दूख नास
भै भंजन अघ दूख नास मनहि अराधि हरे ॥
संतसंग जिह रिद बसिओ नानक ते न भ्रमे ॥1॥258॥
माइआ डोलै बहु बिधी
माइआ डोलै बहु बिधी मनु लपटिओ तिह संग ॥
मागन ते जिह तुम रखहु सु नानक नामहि रंग ॥1॥258॥
मति पूरी परधान ते
मति पूरी परधान ते गुर पूरे मन मंत ॥
जिह जानिओ प्रभु आपुना नानक ते भगवंत ॥1॥259॥