विज्ञान-गृहविज्ञान-आखिर समुद्र से तात्पर्य-नरेश मेहता-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naresh Mehta
पत्नी ने पूछा,
–क्यों विद्युत का प्रकाश पहले आता है
और गर्जन कुछ देर बाद सुनायी देती है?
क्यों? ऐसा क्यों होता है?
मैं चौंका, कि कि हमारे इस भाद्रपदी रम्य क्षण में
यह विज्ञान का बाल कहाँ से आ पहुँचा?
बोला,
–प्रकाश पुरुष है और गर्जन स्त्री
इसलिए स्त्री अपने पुरुष की अनुगामिनी होती है।
प्रवक्ता पत्नी ने
शराराती आँखों वाले अपने हँसने में
चौंकना जोड़ते हुए कहा,
–क्या? क्या कहा?
आकाश में बादल-बिजली की रमणीयता देखते हुए मैं बोला,
–और क्या, विज्ञान इसी प्रकार गृह-विज्ञान बनता है।