विकल्प-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh
संगीनों को
बनाकर माइक –
गा लूँगा
ख़ंजरों को
करूँगा इस्तेमाल
पेन की तरह
तलवारों से करूँगा
वाल पेंटिंग
हथगोले
पिट्ठूफोड़ खेलने के काम आएँगे
टैंक से
होली पर
भिगोया जा सकेगा पूरा गाँव
एक ही साथ
निकाल दूंगा बारूद
मिसाइलों का
खाली खोलों में बनाऊंगा भूलभुलैया
बाकी के
हथियार सारे
गलाकर
साइकलें बनाऊंगा
और ढेर सारे खिलौने भी
तुम आज भी
निर्भर हो हथियारों पर
जबकि हज़ारों बरस पूर्व हमारे पुरखों के पास
तब थे हथियार
जब कोई विकल्प नहीं था।