वन-तुलसी- ऐसा कोई घर आपने देखा है अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
आह! यह वन-तुलसी की गन्ध! आह!
एक उमस
मन को भीतर ही भीतर कर गयी अन्ध!
वन-तुलसी- ऐसा कोई घर आपने देखा है अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
आह! यह वन-तुलसी की गन्ध! आह!
एक उमस
मन को भीतर ही भीतर कर गयी अन्ध!