वक्त का पहिया-के.एम. रेनू-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita K. M. Renu
एक दिन जो रात में बदली
मैं तो बस उसके रंग को समझी
उस काले सफेद रंगों के बीच
की
हर कड़ी
मेरे वक्त और जिंदगी
कों यूँ ही बदल दी
राहों में जिस मोड़ पर
घूमती रही
वक्त के पहिये
से चलती रही
बदलते चक्र में कामयाबी की
हर मंजिल को पाने की कोशिश
करती रही
उसे यूँ ही स्पर्श कर पाने की
चाहत ने
वो सुगंध
मेरे भीतर फूलों की महक
बनकर समा गयी
कदम कदम बढ़ती
मेरी जिंदगी
अपनी मंजिल पार कर गयी
वक्त की घड़ी
घूमते घूमते
फिर से वहीं आ गयी
चक्र की तिलियाँ
घड़ी की सूईयाँ
मिलकर
पहिये की
दरिया पार कर गयी