लौटूंगी मैं-कविता-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar
सहमी सहमी रातों में
सहमी सहमी चलती हूँ
सहमी सहमी रातों में
सहमी सहमी चलती हूँ
लौटूंगी मैं तेरे लिए
तेरे लिए जानिया वे
काली अमावस के
पीछे खड़ी हूँ मैं
सालों के जालों में
कब से पड़ी हूँ मैं
बेचैन हूँ तेरे लिए
हो जानिया
जब डूबेगा दिन
दिया जलाना तुम
आवाज़ दे के फिर
मुझको बुलाना तुम
लौटूंगी मैं तेरे लिए
जानिया वे
तेरे लिए साथी मेरी
जानिया वे
वीरान पेड़ों के
साए जब चलते हैं
मासूम रूहों को
अँधेरे डसते हैं
डरती हूँ मैं तेरे लिए
जानिया वे
जब रातें पिघलें
भोग लगाना तुम
आकाश का कोई
कोना उठाना तुम
लौटूंगी मैं तेरे लिए
जानिया वे
तेरे लिए साथी मेरी
जानिया वे
फिल्म – एक थी डायन(2013)