रोको मत टोको मत-कविता-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar
रोको मत टोको मत
सोचने दो इन्हें सोचने दो
रोको मत टोको मत
होए टोको मत इन्हें सोचने दो
मुश्किलों के हल खोजने दो
रोको मत टोको मत
निकलने तो दो आसमां से जुड़ेंगे
अरे अंडे के अन्दर ही कैसे उड़ेंगे यार
निकालने दो पाँव जुराबें बहुत हैं
किताबों के बाहर किताबें बहुत हैं
बच्चों के एक विज्ञापन के लिए लिखा जिंगल(2013)