राष्ट्र प्रेम-शिव प्रताप सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shiv Pratap Singh
झेल लो तूफ़ान तोपों का मुहाना मोड़ दो,
देश के इतिहास में ऐसे इबारत जोड़ दो.
ऐ हिमालय की हवाओं कह दो पाकिस्तान से,
ले कभी सकता नही तू लोहा हिंदुस्तान से.
हर पत्थर भगवान हर शिखर मंदिर हमारा,
ह्रदय प्रान में बसा है देश का कण कण हमारा,
मत खेल बारुदी हवा से ख़ाक तू हो जायेगा
ख़ाक ही छानेगा हर दम खाक में मिल जायेगा.
कुचलने को हैं खड़े हम पाक का नपाक फ़न,
कसम खाते है तिरंगे की मेरे प्यारे वतन
गोलियां हम झेल लेंगे अपना सीना तान कर,
जान भी कुर्बान होगी राष्ट्र के सम्मान पर
जय हिंद जय भारत