ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं-कविता-मुनीश जस्सल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munish Jassal
ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं,
ये बातें कभी खत्म न हो।
जैसे हमारे बीच मचलती हवा बह रही है
ये हवा का बहना कभी खत्म न हो।
ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं
ये बातें कभी खत्म न हो।
जैसे सागर में पल पल लहरें बन रहीं हैं
ये लहरों का बनना कभी खत्म न हो।
ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं
ये बातें कभी खत्म न हो।
जैसे हर दिन रात सूरज चाँद का निकलना तय है
ये इनका आना और जाना कभी खत्म न हो।
ये बातें जो तेरी मेरी हो रही हैं
ये बातें कभी खत्म न हो।