यह जाड़े की धूप !-डॉ. दिनेश चमोला शैलेश-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dr. Dinesh Chamola Shailesh
नानी की
लोरी सी लगती
यह जाड़े की धूप
दुआ मधुर,
दादी की लगती
यह जाड़े की धूप !
गिफ्ट बड़ा
दादू-नानू का
यह जाड़े की धूप !
जादू की
गुल्लक सी लगती
यह जाड़े की धूप !
ऋतुओं में
ठुल्लक सी लगती
यह जाड़े की धूप !
सपनों की
रानी सी लगती
यह जाड़े की धूप !
बिन माँ की,
नानी सी लगती
यह जाड़े की धूप !
मक्के की
रोटी सी लगती
यह जाड़े की धूप !
मक्खन, घी
मिस्री सी लगती
यह जाड़े की धूप !
निर्धन के
चूल्हे सी जगती
यह जाड़े की धूप !
पापा की
पप्पी सी लगती
यह जाड़े की धूप !
भली नींद
झप्पी सी लगती
यह जाड़े की धूप !