यहां लोग है कितने दूषित-कविता -दीपक सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Deepak Singh
यहां लोग है कितने दूषित
अभिमान मिटाया जाता है ।
वो रावण भी धबराता होगा
क्यों मुझको जलाया जाता है।।
ऐ राम बनके जलाने वालों क्या,
तुम जलाने लायक हो सोचो ।
वो ज्ञानी है वो ज्ञाता है
तुम ईमान बताने लायक हो
सोचो रावण भी बनना आसान नहीं
ईमान बताया जाता है।
यहां लोग हैं कितने दूषित
अभिमान मिटाया जाता है।
वो रावण भी घबराता होगा
क्यों मुझको जलाया जाता है।
चार वेद 18 पुराणों का ज्ञाता वो,
देवलोक को बस में करने वाला।
अपनी प्रजा का रक्षक वो,
शिव भक्ति में रंगने वाला ।
हाथ जोड़े वो आके धरा पे
खड़ा हो जाता है।
यहां लोग हैं कितने दूषित
अभिमान मिटाया जाता है।
वो रावण भी घबराता होगा
क्यो मुझको जलाया जाता है।
रोता फिरता धरा पे
शिव स्तुति को रचने वाला ।
मेरे एक गुण न तुममें
राम न कोई बनने वाला।
चौदह भुवन सात खंड ब्रह्मांड के मालिक वो
उनका चोला पहनाया जाता है।
यहां लोग हैं कितने दूषित,
अभिमान मिटाया जाता है ।
वो रावण भी घबराता होगा
क्यो मुझको जलाया जाता है।