मैं क्या करूँगा-त्रिकाल संध्या-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra
हवा वैसाख की
राशि राशि पत्ते
पेडो के नीचे के राशि राशि झरे बिखरे
सूखे फूल
लेकर चलेगी चल देगी
मुझको तो यह भी मयस्सर नही है
मैं क्या करूंगा वैसाख की दुपहिरया में
झरिया खनाती हुयी कोई बेटी भी
नही दिखेगी जब नदिया के तीर पर
मैं क्या लेकर उडूँगा प्राणो में
देय क्या भरूंगा मैं शब्दो के दोने में
अकमर्ठ बुढापे सा
दुबका रहँूगा क्या कोने में
तन के मन के
विस्तृत गगन के
ओर छोर ढांकने की इच्छा मेरी
आषाढ के मेघ की तरह नही
तो क्या
वैसाख जेठ की धूल की तरह भी
पूरी नही होगी
राशि राशि झरे बिखरे सूखे फूल
लेकर बहेगी हवा वैसाख की
मैं क्या करूंगा।