मैं आज-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra
आज मैं सूरज हूं
सदियो से नींद का मारा
रात की गोद में
सिर रखना चाहता हूं
कभी नही हुई
कोई भी रात मेरी
मगर हर बात कभी-न-कभी
हो जाती है
आज रात
मेरी हो जायेगी
और सो जायेगी वह
लेकर मुझे अपनी बांहों में !