मैंने पूछा-व्यक्तिगत-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra
मैंने पूछा
तुम क्यों आ गई
वह हँसी
और बोली
तुम्हें कुरूप से
बचाने के लिए
कुरूप है
ज़रुरत से ज़्यादा
धूप
मैं छाया हूँ
ज़रूरत से ज़्यादा धूप
कुरूप है ना?