मिर्ज़ा ग़ालिब-पसन्दीदा कविता-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh
इशरते कत्ल गहे अहले तमन्ना मत पूछ
इदे-नज्जारा है शमशीर की उरियाँ होना
की तेरे क़त्ल के बाद उसने ज़फा होना
कि उस ज़ुद पशेमाँ का पशेमां होना
हैफ उस चारगिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब
जिस की किस्मत में लिखा हो आशिक़ का गरेबां होना
मिर्ज़ा ग़ालिब
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