मियाँ दिल तुझे ले चले हुस्न वाले-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
मियाँ दिल तुझे ले चले हुस्न वाले
कहो और किया जा ख़ुदा के हवाले
ख़बरदार उन के सिवा ज़ुल्फ़ ओ रुख़ के
कहीं मत निकलना अंधेरे उजाले
तिरी कुछ सिफ़ारिश मैं उन से भी कर दूँ
करेगा तू क्या याद मुझ को भुला ले
सुनो दिलबरो गुल-रुख़ो मह-जबीनो
मैं तुम पास आया हूँ इक इल्तिजा ले
तुम अपने ही क़दमों तले उस को रखियो
तसल्ली दिलासे में हर दम सँभाले
तुम्हारे ये सब नाज़ उठावेगा लेकिन
वही बोझ रखियो जिसे ये उठा ले
‘नज़ीर’ आह दिल की जुदाई बुरी है
बहें क्यूँ न आँखों से आँसू के नाले
अगर दस्तरस हो तो कीजे मुनादी
कि फिर कोई सीने में दिल को न पाले
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