माँ-गोलेन्द्र पटेल
(“अनुप्रास अलंकार’ में : ‘म’ से ‘माँ”)
मैं मुख मन्थन मधु!
मधुर मंगल मृदुल माँ!
महान महन्त मातृत्व महिमा!
मुख्य मग मार्गदर्शक महान!
मानव मेरी महत्व मान!
मुझसे मोह माया मुक्ति!
मंजिल मजहब मोहब्बत मस्ती
मिलता मनोहर मजेदार ममता!
मनुष्य मानो मूझे महकता!
मर्म महक मीठी मरहम!
माता माई मईया मम!
मन-माँझी महाकाव्य महतारी!
मत मार्मिक मणि मतारी!
महामंत्र मख मठरी माँ!
मिट्टी मतलब मेरी माँ!
मतभेद मिटाती मेरी माँ!
मधुपर्क मधुमय मयुखी मनुजा !
मनोभूमि मसि मार्तंड मुनिजा!
मर्ष महि महेरी माँ!
मंच मंजरी मेरी माँ!
(2017 की रचना)
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