माँ की पहचान-मेरी कविता मेरे गीत(डोगरी कविता)-पद्मा सचदेव-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Padma Sachdev(अनुवादिका: पद्मा सचदेव)
यदि वह किसी को देखकर हंसती है
तो तेरे होंठ अपने-आप खुल जाते हैं
अगर वह किसी को देखकर गुस्सा होती हैं
तो तेरे आँसू अनायास ही ढुलक पड़ते हैं
अगर वह खटोले पर बैठी दिखाई देती है
तो तुम भी वाही पकड़कर खड़े होने का यत्न करते हो
उसे खाली बैठी देखकर तुम उसके आंचल में छुप जाते हो
जब पीढ़ी पर डालकर झूलाती रहती है तो
कितने प्यार से कसकर तुम उसका हाथ थामे रहते हो
वह भी लोरियाँ गाते-गाते तेरी झाँखों में झाँकती रहती है
वह तुम्हें अकेले में कहीं छोड़ कर जाए तो
तुम झाँक-झाँककर बाहर देखते हो
चारपाई के नीचे, अन्दर बाहर पिछवाड़े में
आने-जाने वालों को परखते हो
थोड़ी देर में जब वह वापिस आती है
तो तुम उसकी आँखों में जग रही ममता की
अनोखी ज्योति से उसे पहचान जाते हो
मन उसका है ये छोटे-छोटे हाथ उसीके हैं
आशा से भरी झांकियाँ उसीकी हैं
मुंह में डाले हुए छोटे-छोटे पाँव
और काली विरारी लटें सब उसीकी हैं।
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