भगत सिंह की याद-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh
करुणामय मां की छाती पर किया बंधु को आह हलाल,
बधिक खड़ा है देखा कैसा रंगे हुए दोनों कर लाल।
मां रोती है, मैं रोता हूं, जगती का रोता हर रोम,
खिल खिल हंसता क्रूर कसाई, प्रतिध्वनित होता है व्योम।
मुंह आंखों से फिरता लहू, और धधकती, छब की आंच,
रस्सी, तखता, गड़ा घिरनी, सभी रहे आंखों में नाच।
कौन ? कहां वे गए ? इसे अब कोई बताता है,
नहीं भूलता हाय ! हाय रे ! भगत सिंह याद आता है।
(-अज्ञात)
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