post Contents ( Hindi.Shayri.Page)
- 1 जमुना तट श्याम खेलत होरी
- 2 टेसू रंग राम खेलत होरी
- 3 नैनन से मोहे गारी दई
- 4 नन्द के द्वार मची होली
- 5 दिल की लगी बुझा ले
- 6 नेक आगे आ श्याम
- 7 ननदी के बिरन होली आई
- 8 भीजेगी मोरी चुनरी
- 9 मोरी अँखियाँ कर दईं लाल
- 10 बरसै केसरिया रंग आज
- 11 ब्रज में हरी फाग मचायो
- 12 मेरा खो गया बाजूबन्द
- 13 मत मारे दृगन की चोट
- 14 बरसाने में सामरे की होरी रे
- 15 हिन्दी कविता- Hindi.Shayri.Page
ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -2
जमुना तट श्याम खेलत होरी
जमुना तट श्याम खेलत होरी, जमुना तट।
केसर कुमकुम कुसुम सजावत
ग्वाल पुकारत, होरी है होरी, जमुना तट।
खेलन आयो होरी बरजोरी,
अबीर गुलाल लिए झोरी, जमुना तट।
अबीर गुलाल मल्यो मुख मोरे,
पकरि बाँह मोरी झकझोरी, जमुना तट।
दौड़ि दौड़ि पिचकारी चलावत,
कर दीनी मोहे सरबोरी, जमुना तट।
जमुना तट श्याम, खेलत होरी, जमुना तट।
टेसू रंग राम खेलत होरी
टेसू रंग राम खेलत होरी, टेसू रंग।
कौन तो पहिने पियरो पीताम्बर, कौन तो
ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
पहिने चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
राम जी तो पहिनैं पियरो पीताम्बर, राम जी तो
ए जी सीता जी तो, ए जी सीता जी तो
पहिनैं चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
कौन के हाथ चन्दन पिचकारी, कौन के
ए जी कौन के, ए जी कौन के,
हाथ गुलाल झोरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
राम जी के हाथ चन्दन पिचकारी, राम जी के
ए जी सीता जी के, ए जी सीता जी के
हाथ गुलाल झोरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
कौन तो न्हावै सरयू के घाट पे, कौन तो
ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
न्हावै आँगन देहरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
राम जी तो न्हावैं सरयू के घाट पे, राम जी तो
ए जी सीता जी तो, ए जी सीता जी तो
न्हावैं आँगन देहरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
कौन तो धोवै पियरो पीताम्बर, कौन तो
ए जी कौन तो, ए जी कौन तो,
धोवै चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
सीता जी तो धोवैं पियरो पीताम्बर, सीता जी तो
ए जी राम जी तो, ए जी राम जी तो
धोवैं चीर चुनरी, टेसू रंग ॥ टेसू रंग राम —–
नैनन से मोहे गारी दई
नैनन से मोहे गारी दई, पिचकारी दई,
हो होली खेली न जाय, होली खेली न जाय ।
काहे लंगर लंगुराई मोसे कीन्ही,
केसर-कीच कपोलन दीनी,
लिए गुलाल खड़ा मुसकाय, मोसे नैन मिलाए,
मोपे नेह लुटाय, होली खेली न जाय ॥
जरा न कान करे काहू की,
नजर बचाए भैया बलदाऊ की,
पनघट से घर तक बतराय, मोरे आगे-पीछे आय,
मोरी मटकी बजाय, होली खेली न जाय ॥
चुपके से आय कुमकुमा मारे,
अबीर-गुलाल शीश पे डारे,
यह ऊधम मेरे सासरे जाय, मेरी सास रिसाय,
ननदी गरियाय, होली खेली न जाय ॥
होली के दिनों में मोसे दूनों-तीनों अटके,
शालिग्राम जाय नहीं हट के,
अंग लिपट मोसे हा-हा खाय, मोरे पइयाँ पर जाय,
झूटी कसमें खाय, होली खेली न जाय ॥
नन्द के द्वार मची होली
बाबा नन्द के द्वार मची होरी॥ टेक॥
कै मन लाल गुलाल मँगाई, कै गाड़ी केशर घोरी।
दस मन लाल गुलाल मँगाई, दस गाड़ी केशर घोरी।1।
कौन के हाथ कनक पिचकारी, कौन के साथ रंग की पोरी।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी, मनसुख हाथ रंग की पोरी।2।
कै री बरस के कुँवर कन्हैया, कै री बरस राधा गोरी
सात बरस के कुँवर कन्हैया, पाँच बरस की राधा गोरी।3।
घुटुवन कीच भई आँगन में, खेलैं रंग जोरी जोरी
चन्द्रमुखी भजु बालकृष्ण छवि बाबा नंद खड़े पोरी।4॥
दिल की लगी बुझा ले
दिल की लगी बुझा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें
हँस-हँस फाग मना ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें ॥
मेरी राह से हट जा काले, तू तो रोज-रोज मँडरावे
मेरे मन से हट जा काले, तू तो रोज-रोज इठलावे ॥
चटक-मटक है चार दिनों की,
फिकर न कर तू जग वालों की
संग नाच ले गा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें ॥ दिल की लगी ——–
चटक-मटक तो रोज रहेगी, तुझसे मेरी नहीं बनेगी
नहीं नाचूँ नहीं गाऊँ रे, तू तो रोज-रोज मँडरावे ॥
ऐसा समय नहीं फिर आवे, चूक जाए तो फिर पछतावे
हौले से नेक हौले से बतलाय री, तेरे रोज-रोज ना आवें ॥दिल की लगी ——–
तेरी होली बारहमासी, करता डोले छिन-छिन हाँसी
मन का कपट मिटा ले रे, तू तो रोज-रोज मँडरावे ॥
तुझको अपना पता बतावें, नन्द भवन में तुझे मिल जावें
एक बार आजमा ले री, तेरे रोज-रोज ना आवें ॥दिल की लगी ——–
मै जानूँ तेरा पता-ठिकाना, नन्द बाबा का नाम लजाना
तुझसे मिले सोई पछतावे, तू तो रोज-रोज मँडरावे ॥ दिल की लगी ——–
नेक आगे आ श्याम
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ
हाँ रे नेक आगे आ, हम्बै नेक आगे आ
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ।
रंग डारूँ तेरे अंगन सारूँ, रंग डारूँ तेरे अंगन सारूँ लाला,
तेरे गालन पे, तेरे गालन पे, कुलचा मारूँ नेक आगे आ
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ।
टेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया बाँधूँ, टेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया बाँधूँ लाला
तेरी पगिया पे, तेरो पगिया पे फुलड़ी डारूँ, नेक आगे आ
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ।
ब्रज दूल्हा तू छैल अनोखा, ब्रज दूल्हा तू छैल अनोखा लाला
तोपे तन-मन-धन-जोबन वारूँ, नेक आगे आ
नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ।
ननदी के बिरन होली आई
ननदी के बिरन होली आई रसिया, ननदी के।
कैसी गोरी, कैसे रसिया,
कौन पलंग, कैसे तकिया, ननदी के ॥ ननदी के —–
गोरी गोरी, साँवरे रसिया,
चन्दन पलंग, नरम तकिया, ननदी के ॥ ननदी के —–
रूठ गई गोरी, रूठ गए रसिया,
रोवे पलंग, सिसके तकिया, ननदी के ॥ ननदी के —–
मान गई गोरी, मान गए रसिया,
हँसे पलंग, किलके तकिया, ननदी के ॥ ननदी के —–
भीजेगी मोरी चुनरी
भीजेगी मोरी चुनरी, मत रंग डारौ।
टीका के संग-संग, बिंदिया भीजै,
भीजेगी नाक-बेसर, मत रंग डारौ।
झुमकों के संग-संग, लटकन भीजै,
भीजेगी मोरी हँसुली, मत रंग डारौ।
कंगन के संग-संग, चुरियाँ भीजै,
भीजेगी मोरी मुँदरी, मत रंग डारौ।
लहँगा के संग-संग, चोली भीजै,
भीजेगी मोरी चुनरी, मत रंग डारौ।
तगरी के संग-संग, गुच्छा भीजै,
भीजेगी मोरी तिलरी, मत रंग डारौ।
अनवट के संग-संग, बिछिया भीजै,
भीजेगी मोरी पायल, मत रंग डारौ।
मोरी अँखियाँ कर दईं लाल
मोरी अँखियाँ कर दईं लाल, नन्द के छलबलिया।
बरसाने के हम हैं बाबा, खेलन निकरीं फाग,
कौन गाँव के तुम हो बाबा, कौन पिता कौन मात,
कौन है जात रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ———
नन्द गाँव के हम हैं बाबा, जसुदा हमरी मात,
राधा जी के हम हैं रसिया, रसिक हमारी जात,
नन्द बाबा हैं तात रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ———
चोट बुरी है, बहुत बुरी है, नैनन की नन्द लाल,
फागुन में मोहे घायल करके, पीछे मल्यो गुलाल,
अरे ओ मनबसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ———–
बरस मास में फागुन आयो, मत कर गोरी मान,
प्रेम-प्रीत का रंग लगा ले, कर दे सबन निहाल,
रँगीला फाग रसिया, मोरी अँखियाँ कर दईं लाल ———-
बरसै केसरिया रंग आज
बरसै केसरिया रंग आज बरसाने में।
खेलें श्याम राधिका होरी, संग सखा-सखियाँ की टोली,
छायो फगवा रंग आज बरसाने में ॥ बरसै केसरिया ——–
रंग अबीर भरे हैं झोरी, छेड़-छाड़ और हथ-हिचकोरी,
नाचें राधा संग श्याम बरसाने में ॥ बरसै केसरिया ——–
जमुना जल है लेत हिलोरें, ग्वाल-बाल सब नाचत डोलें,
मुदित यशोदा-नन्द आज बरसाने में ॥ बरसै केसरिया ——–
ब्रज में हरी फाग मचायो
ब्रज में हरी फाग मचायो री, ब्रज में हरी।
चहुँ ओर नाचे कृष्ण मुरारी,
भाजीं ब्रजनारी भर पिचकारी,
कीचम-कीच मचायो, ब्रज में हरी।
नीली-पीली ओढ़ चुनरिया,
पनघट पे मिल गईं गुजरिया,
भर गागर छलकायो री, ब्रज में हरी।
कहीं बाजें ढोलक झाँझ मँजीरा,
रंग उड़े कहीं उड़े अबीरा,
सब दिसि आनन्द छायो री, ब्रज में हरी।
मेरा खो गया बाजूबन्द
मेरा खो गया बाजूबन्द
1
ऊधम ऐसा मचा ब्रज में, सब केसर रंग उमंगन सींचें
चौपद छज्जन छत्तन, चौबारे बैठ के केसर पीसें ।
भर पिचकारी दई पिय को, पीछे से गुपाल गुलाल उलीचें
अरे एक ही संग फुहार पड़ें, सखी वह हुए ऊपर मैं हुई नीचे ।
ऊपर-नीचे होते-होते, हो गया भारी द्वंद
ना जाने उस समय मेरा, कहाँ खो गया बाजूबन्द ॥
हो मेरा, हो मेरा, हो मेरा)
2
हो मेरा खो गया बाजूबन्द रसिया, ओ रसिया होली में
होली में होली में होली-होली में, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया —–
बाजूबन्द मेरा बड़े री मोल का, तुझसे बनवाऊँ पूरे तोल का
सुन!!!! सुन नन्द के परचन्द, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया —–
सास लड़ेगी मेरी नन्द लड़ेगी, बलम की सिर पे मार पड़ेगी
तो!!!! तो हो जाय सब रस भंग, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया —–
ऊधम तूने लाला बहुत मचाया, लाज-शरम जाने कहाँ धर आया
मैं तो!!!! मैं तो आ गई तोसे तंग, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया —–
मेरी तेरी प्रीत पुरानी, तूने मोहन नहीं पहचानी
ओ मुझे!!!!! ओ मुझे ले चल अपने संग, ओ रसिया होली में ॥ मेरा खो गया —–
मत मारे दृगन की चोट
मत मारे दृगन की चोट ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
मैं बेटी वृषभान बाबा की, और तुम हो नन्द के ढोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
मुझको तो लाज बड़े कुल-घर की, तुम में बड़े-बड़े खोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
पहली चोट बचाय गई कान्हा, कर नैनन की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
दूजी चोट बचाय गई कान्हा, कर घूँघट की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
तीजी चोट बचाय गई कान्हा, कर लहँगा की ओट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
नन्दकिशोर वहीं जाय खेलो, जहाँ मिले तुम्हारी जोट
ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी ।
बरसाने में सामरे की होरी रे
बरसाने में सामरे की होरी रे॥ टेक
उड़त गुलाल लाल भये बदरा, मारत भरि भरि झोरी रे॥
कै मन तो यानै रंग घुरायौ, कै मन केशरि घोरी रे।
नौ मन तो यानै रंग घुरायो, दस मन केशर घोरी रे।
कौन गाम के कुँवर कन्हैया, कौन गाम की गोरी रे।
नन्दगाँव को कुमर कन्हैया, बरसाने की गोरी रे।
कहा हाथ में कृष्ण कन्हैया, कहा हाथ में लिये गोरी रे।
ढाल हाथ में कुमर कन्हैयाजी, लठा हाथ में गोरी रे।
कहा कर रहे ग्वाल बाल सब, कहा करें सब गोरी रे।
ढाल रोपिरहे ग्वाल बाल सब, लठा चलाय रहीं गोरी रे॥