बहुत ही दिल-नशीं आवाज़-ए-पा थी-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali
बहुत ही दिल-नशीं आवाज़-ए-पा थी
न जाने तुम थे या बाद-ए-सबा थी
बजा करती थीं क्या शहनाइयाँ सी
ख़मोशी भी हमारी जब नवा थी
वो दुश्मन ही सही यारो हमारा
पर उस की जो अदा थी क्या अदा थी
सभी अक्स अपना अपना देखते थे
हमारी ज़िंदगी वो आईना थी
चला जाता था हँसता खेलता मैं
निगाह-ए-यार मेरी रहनुमा थी
चलो टूटी तो ज़ंजीर-ए-मोहब्बत
मुसीबत थी क़यामत थी बला थी
न हम बदले न तुम बदले हो लेकिन
नहीं जो दरमियाँ वो चीज़ क्या थी
मोहब्बत पर उदासी छा रही है
है क्या अंजाम और क्या इब्तिदा थी
शगूफ़े फूटते थे दिल से ‘नौशाद’
ये वादी पहले कितनी पुर-फ़ज़ा थी