बहुत दिनान को अवधि आसपास परे-कविता -घनानंद-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghananand
बहुत दिनान को अवधि आसपास परे,
खरे अरबरन भरे हैं उठि जान को।
कहि कहि आवन छबीले मनभावन को,
गहि गहि राखति ही दै दै सनमान को
झूठी बतियानि को पत्यानि तें उदास ह्वै के,
अब ना घिरत घन आनंद निदान को।
अधर लगे हैं आनि करि कै पयान प्रान,
चाहत चलन ये सँदेसो लै सुजान को।
(कहते हैं कि मरते समय इन्होंने अपने रक्त
से यह कवित्त लिखा था)