बहार-अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,
इतनी खुशबू है कि दम घुटता है
अबके यूँ टूट के आई है बहार
आग जलती है कि खिलते हैं चमन
रंग शोला है तो निकहत है शरार
रविशों पर है क़यामत का निखार
जैसे तपता हो जवानी का बदन
आबला बन के टपकती है कली
कोपलें फूट के लौ देती हैं
अबके गुलशन में सबा यूँ भी चली
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