फ्रंटपेज पर-कविता-पीयूष पाचक-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Piyush Pachak
आतंकवादी आए
घबराये-से
सब चिल्लाए,
अचानक बम
विस्फोट
गरीबों पर चोंट,
सब दुम दबाकर
भागे,
नेताजी सबसे
आगे,
जलते अंगारों पे
रोटियाँ सेंकने लगे
हालातों को
शिकारी निगाहों से
देखने लगे,
दूसरे ही दिन
मखमली सेज पर थे,
घड़ियाली आँसू
फ्रंट पेज पर थे।