पलातक शिशिरेर द्विरागमन (देवनागरी रूप)-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun
मध्य फाल्गुनेर मेघला निशिथे
एकटु परेइ हबे
पलातक शिशिरेर द्विरागमन
एरवनि हबे आरम्भो
बृष्टिर टापुर-टुपुर
सकाले-सकाल ओरा बोलबे
उल्लसित कण्ठे, उन्नमित भ्रूभंगिमाय
निशुति राते कोरे छेन करुणामय भगवान
कांचनेर वर्षा !
सकाले-सकाल एरा बोलबे
विषन्न कण्ठे, अवनमित भ्रू-पाते
एबार महामारी हबेइ हबे !
(19.2.79)