पत्थर! तू भगवान बनकर-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill
पत्थर! तू भगवान बनकर मंदिर में जम जाएगा।
तेरी पूजा अर्चना होगी, मेरे हाथ दुख ही आएगा।
शूद्र था मैं आज भी शूद्र, तुझे तराशने वाला मैं
हे भगवान! पुजारी मुझे फिर भी अछूत कह जाएगा।
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