न ख़ुशी दे तो कुछ दिलासा दे-लावा -जावेद अख़्तर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Javed Akhtar
न ख़ुशी दे तो कुछ दिलासा दे
दोस्त, जैसे हो मुझको बहला दे
आगही से मिली है तन्हाई
आ मिरी जान मुझको धोका दे
अब तो तक्मील की भी शर्त नहीं
ज़िंदगी अब तो इक तमन्ना दे
ऐ सफ़र इतना राएगाँ तो न जा
न हो मंज़िल कहीं तो पहुँचा दे
तर्क करना है गर तअल्लुक़ तो
ख़ुद न जा तू किसी से कहला दे