निर्लज्ज नाटक-मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun
राजनीति हो गयी है सम्प्रति निर्लज्ज नाटक
मैं भी किया करता हूँ यत्र तत्र अनेक त्राटक
कहीं होता हूँ अध्यक्ष, कहीं उद्घाटक
खोल चुका हूँ शत शत महामुक्ति के फाटक