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दो कविताएँ- कविता -अब्दुर रहमान राही -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Abdur Rehman Rahi
(1) पूरे जंगल को आग ने भस्म कर डाला
पूरे जंगल को आग ने भस्म कर डाला
भेड़ों की चर्बी जली, चरागाह राख हुआ
निपट मूर्ख गड़रिये की न साँस रुकती है
न उसने अपने नाखून कुतरे।
(2) संसार की तोप के मुख पर रखा कबूतर का अंडा
संसार की तोप के मुख पर रखा कबूतर का अंडा
हाँ, पर कश्मीरी कवि, संगीतज्ञ गा रहे हैं
‘हमारा वतन, सबसे प्यारा वतन’
मनुष्य समय के चक्करों में, दन्त-चक्रों में फँसे
हाँ, यदि आपका अनुरोध है तो
मैं भी मना लूँगा ख़ुद को
निशात बाग़ के कोमल पुष्प लिये इतराता आऊँगा।
(कश्मीरी से अनुवाद : सतीश विमल)
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