दिल गुमाँ था गुमानियाँ थे हम-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia
दिल गुमाँ था गुमानियाँ थे हम
हाँ मियाँ दासतानियाँ थे हम
हम सुने और सुनाए जाते थे
रात भर की कहानियाँ थे हम
जाने हम किस की बूद का थे सुबूत
जाने किस की निशानियाँ थे हम
छोड़ते क्यूँ न हम ज़मीं अपनी
आख़िरश आसमानियाँ थे हम
ज़र्रा भर भी न थी नुमूद अपनी
और फिर भी जहानियाँ थे हम
हम न थे एक आन के भी मगर
जावेदाँ जाविदानियाँ थे हम
रोज़ इक रन था तीर-ओ-तरकश बिन
थे कमीं और कमानियाँ थे हम
अर्ग़वानी था वो पियाला-ए-नाफ़
हम जो थे अर्ग़वानियाँ थे हम
नार-ए-पिस्तान थी वो क़त्ताला
और हवस-दरमियानियाँ थे हम
ना-गहाँ थी इक आन आन कि थी
हम जो थे नागहानियाँ थे हम