तू चाँद नगर की शहज़ादी-ग़ज़लें व फ़िल्मी गीत-जावेद अख़्तर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Javed Akhtar
( तू चाँद नगर की शहज़ादी
मैं इस धरती का बंजारा ) -2
तू महलों में रहने वाली
मैं गलियों-गलियों आवारा
तू चाँद नगर की शहज़ादी
मैं इस धरती का बंजारा
तू महलों में रहने वाली
मैं गलियों-गलियों आवारा
मैं इक हवा का झोंका तू फूल है
इतना तुझको चाहूँ फ़ुज़ूल है
मैं आज यहाँ और कल हूँ वहाँ
तुझे अपना गुलशन ही प्यारा
तू महलों में रहने वाली
मैं गलियों-गलियों आवारा
तेरा मेरा दो पल का साथ है
सच है ये सब किस्मत की बात है
हर दिल में यहाँ तू है मेहमाँ
मैं बेघर बेदर बेचारा
तू महलों में रहने वाली
मैं गलियों-गलियों आवारा
लब ना हिले तो आँखों से काम ले
जाने वाली मेरा सलाम ले
मेरे पिछले जनम के भले थे करम
तो मिल जाऊँगा दोबारा
तू महलों में रहने वाली
मैं गलियों-गलियों आवारा
(दुनिया)
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