तुम और मैं एक जैसी ही तो हैं-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”
तुम और मैं एक जैसे ही तो हैं…
आखिर मेरी ही तरह
चांद को देख पिघल तुम भी जाते होगे।
बच्चे के कस के उँगली पकड़ने पर
दिल तुम्हारा भी हार जाता होगा।
साइन-काॅस-थीटा देख एक बार
सर तुम्हारा भी चकराया ही होगा।
खूबसूरत लड़के(लड़की) को मुड़कर
तुमने भी कभी देखा ही होगा।
गुलाब को देख उसे तोड़ने का मन कभी तो किया होगा।
सिग्नल पर रेड लाईट तोड़ कर भागने का मन भी किया होगा।
खुले आसमान को घंटों तक निहारा कभी तुमने भी ज़रूर होगा
छत पर बैठ कर तारे गिनने की कोशिश भी की होगी ।
प्यार और इज्ज़त के भूखे तुम भी तो होगे।
फिक्र और डर से घिरे तुम भी तो होगे।
इश्क़ का स्वाद कभी ना कभी तो चखा ही होगा।
कुछ टूटे रिश्तों का बोझ भी लदा ही होगा।
तुम्हारा भी कोई अजी़ज़ होगा।
दिल टूटने पर दर्द तुम्हें भी होता ही होगा।
कुछ ख़्वाब तुमने भी देखे होंगे।
कुछ चाहतें तुम्हारी भी अधूरी होंगी।
किसी नाम के ज़िक्र बस से सांस तुम्हारी भी थमती होगी।
रिश्तों की गहराई कभी तुमने भी नापी तो ज़रूर होगी।
मोम की तरह पिघले कभी ज़रूर होगे।
गुस्से का घूँट कभी तुमने भी पिया होगा।
सब्र का बाण कभी तुम्हारा भी टूटा होगा।
बेवजह इल्ज़ाम कभी तुम पर भी लगाया गया होगा।
किस्मत से धोखा कभी तुमने भी खाया ही होगा।
टूटता तारा देख कभी दुआ भी मांगी ही होगी।
दुआ कुबूल ना होने पर रब से शिकायत भी की ही होगी।
अनचाही बेड़ियों मे कभी तुम भी फंसे होगे।
उसूलों ओर फर्जो़ की सीमा को कभी तुमने भी लांघा ही होगा।
तुमने भी यह सब ज़रूर किया होगा।
आखिर तुम और मैं एक जैसे ही तो हैं।।