तुम्हारा साथ-छोटा सा आकाश-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal
अब दिन गुलाबी लगने लगे हैं
शाम से ही आकाशगंगा दिखने लगी है
तुम आ गई हो साथ तो
रात भी पहचानी सी लगने लगी है
सबसे सहज, सरल, सुन्दर तुम
कभी न सोचा कि क्या है इस घर में
कितना परिमल है प्यार तुम्हारा
स्वागत है तुम्हारा इस छोटे से उर में
चल पड़ेंगे कल सुबह कर्मठ से
सँवारने तिनकों से परिवार
तुम्हारा आँचल ही छत है जीवन का
और तुमसे ही है संसार
तुम ही हो मेरी आशा
जैसे यह विस्तृत समृद्ध गगन
मेरी मुग्धा, एक बार अधरों से छू लो
धूप भी छिप जाएगी मेघों में सघन