तमन्ना कई थे-नज़्में-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia
तमन्ना कई थे, आज दिल में उनके लिए
लेकिन वो आज न आये मुझे मिलने के लिए
काम करने का जोश न रहा
उनके बिना कोई होश न रहा
कैसे समझाऊ उन्हें की वो मेरी ज़िन्दगी है
मेरी ज़िन्दगी को कैसे समझाऊ के मोहब्बत मेरी बंदगी है
लेकिन आज मैं काम ज़रूर करूँगा
उनके बिना मैं नहीं मरूँगा
कमबख्त यह दिल है कि मानता नहीं
यह क्या मजबूरी हैं उनके बिना काम बनता नहीं
काश उनको भी मेरी याद सताये
यह मोहब्बत का रोग उन्हें जलाये